ज़रा सुनों, क्या कह रही पगलाई सी धड़कन मेरी
तू जो कभी आता है जब सामने मेरे
कभी चला, कभी रुका, थम गया, फिर चल पड़ा
आए ना कल, ठहर जाए पल सामने मेरे
ज़रा संभालो, मना लो
दिल कहीं मैंने छुपाके रखा है यहीं
रहेगा ये पगला छुपकर यहीं
हमसफ़र बनके तेरा यूँ ही
ज़रा सुनों, क्या कह रही पगलाई सी धड़कन मेरी
तू जो कभी आता है जब सामने मेरे
पा के तेरी सोहबत, कैसी उलटी-सीधी हरकत
हाए, करने लगा, नटखट, दिल मेरा
तूने जो दी दस्तक, बात आई मेरे लब तक
और चुप सा रहता कब तक दिल मेरा?
जो आ गई तू रू-ब-रू यूँ मेरे
होश के सब परिंदे उड़ गए
ठगा-ठगा सा रह गया मैं यहाँ
और दिल लेके तुम चल दिए
ज़रा सुनों, क्या कह रही पगलाई सी धड़कन मेरी
तू जो कभी आता है जब सामने मेरे